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मनःस्थिरीकरणम् पृथिव्यादिषु प्रतिगुणस्थानकं कषायबन्ध-उदय-सत्तायन्त्रम्-८ (गाथा-१५६/१५७/१५८)
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पृथ्वीकाय | अप्काय | तेजस्काय
वायुकाय | वनस्पतिकाय | द्वीन्द्रिय | त्रीन्द्रिय | चतुरिन्द्रिय | असजितिर्यक् | सजि तिर्यक्
मनुष्य
नरक
मिथ्यात्व
सास्वादन
१६/१६/१६ | १६/१६/१६
१६/१६/१६ - १६/१६/१६ | १६/१६/१६ | १६/१६/१६ | १६/१६/१६ | १६/१६/१६ | १६/१६/१६
मिश्र
१२/१६/१६
सम्यक्त्य
१२/१२/ १२क्ष./१६उ
१२क्ष./१६उ
देशविरति
प्रमत्त संयत
१२/१२/ १२/१२/ १२क्ष./१६उ | १२क्ष./१६उ
८/८/ ८/4/ १२क्ष./१६उ | १२क्ष./१६उ
४/४/१२क्ष./१६उ ४/४/१२क्ष./१६उ १/२४/४/१२क्ष./१६३ ३/३/१२क्ष./१६उ ४२/२/१२क्ष./१६उ ५ १/१/१२क्ष./१६उ
अप्रमत्त संबत
अपूर्वकरण
अनिवृत्ति बादर
क्षपक
उपशमक १२क्ष./१६उ
०/१/१
१२क्ष./१६उ ।
सूक्ष्म सम्पराय उपशान्त माह क्षीणमोह सयोगिकेवली अयोगिकेवली
मन:स्थिरीकरणप्रकरणम्
बन्ध/उदय/सत्ता क्ष. = क्षायिक सम्यग्दृष्टिः, उ = औपशमिक सम्यग्दृष्टि क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टि