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________________ कल्पनियुक्तिः इन दृष्टान्तों द्वारा यह प्रतिपादित किया गया है कि जब असंयमी लोग भयङ्कर अपराधों के लिए क्षमायाचना और क्षमादान कर सकते हैं तब संयमी साधु तो अवश्य ही अपने प्रति किये गये अपराधों को क्षमा कर सकते हैं और स्वकृत अपराधों के लिए दूसरों से क्षमा माँग सकते हैं। उपर्युक्त दृष्टान्तों के अतिरिक्त कषाय के दुष्परिणाम को बताने वाले चार दृष्टान्त-सङ्केत प्राप्त होते हैं। इनमें अनन्तानुबन्धी क्रोध कषाय से सम्बन्धित हल जोतने वाले मरुत, अनन्तानुबन्धी मानविषयक श्रेष्ठिपुत्री अत्यहङ्कारिणी भट्टा, अत्यधिक माया कषाय से युक्त श्रमणी पाण्डुरार्या तथा लोभी श्रमण आर्यभंगु के दृष्टान्त प्राप्त होते हैं । इस नियुक्ति में संकेतित दृष्टान्तों को इस प्रकार सूचीबद्ध कर सकते हैं :१. अधिकरण अर्थात् कलह सम्बन्धी दृष्टान्त १. द्विरुक्तक दृष्टान्त २. चम्पाकुमारनन्दी दृष्टान्त ३. भृत्य द्रमक दृष्टान्त २. कषाय से सम्बन्धित दृष्टान्त १. क्रोधकषाय विषयक मरुत दृष्टान्त, २. मानकषाय विषयक अत्यहङ्कारिणी भट्टा दृष्टान्त, ३. मायाकषाय विषयक पाण्डुरार्या दृष्टान्त, ४. लोभकषाय विषयक आर्यमङ्ग दृष्टान्त । नियुक्ति साहित्य में कथाओं को, उनके प्रमुख पात्रों के नाम-निर्देश के साथ एक, दो या कभी-कभी तीन गाथाओं में कथा के मुख्य बिन्दुओं के कथन द्वारा, इङ्गित किया गया है। कथा का पूर्ण स्वरूप परवर्ती साहित्य से ही ज्ञात हो पाता है, वह भी मुख्यतः चूणि साहित्य से । निशीथभाष्यचूर्णि और दशाश्रुतस्कन्धचूर्णि' में उपर्युक्त कथायें दिये गये क्रम से उपलब्ध हैं । नि०भा०चू० में ये कथायें विस्तृत रूप में वर्णित हैं जबकि द० चू० में संक्षिप्त रूप में वर्णित हैं । इन दोनों चूणियों के अतिरिक्त यथाप्रसङ्ग बृहत्कल्पभाष्य और ३. निशीथभाष्य-चूर्णि, भाग ३, सं० आचार्य अमरमुनि, भारतीय विद्या प्रकाशन, दिल्ली एवं सन्मति ज्ञानपीठ, वीरायतन, राजगृह (ग्र० स० ५), पृ० १३९-१५५ । ४. दशाश्रुतस्कन्धमूलनियुक्तिचूर्णि:-मणिविजयगणि ग्रन्थमाला सं० १४, भावनगर १९५४, पृ० ६०-६२ । ५. बृहत्कल्पभाष्य, जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर, १९३३-४२ ।
SR No.009260
Book TitleKalpniryukti
Original Sutra AuthorBhadrabahusuri
AuthorManikyashekharsuri, Vairagyarativijay
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2014
Total Pages137
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size3 MB
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