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(108 बार जाप करे।)
जयमाला
दोहा पूज्य श्री नवदेव है जो अनुपम सुखदाय। कहूँ महा जयमालिका कर्म हरे दुख दाय।।
छन्द नाराच देव जिन राज को नमत्त सुर गुरु सदा। पूजते भक्ति नहीं रंच दुख हो कदा।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नमुं त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।1।।
गर्भ छह मास पूर्व रत्न वृष्टि करत है। होत जन्म देव गण मेरु ले धरत हैं। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नम त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।2।।
पंचमी क्षीर सागर सु जल लाइया। करत अभिषेक इन्द्र देव हर्षाइया।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नमुं त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।3।। अघ घघ घघ घघ, अघ घघ जोर से। घघ घघ घघ घघ, ढुलत कलश शोर से।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नम त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।4।।
जय जय जय जय जयति जय जय जय। करत यहां देव जय जय जय जय।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नमुं त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।5।।
धृगततं धृगततं होत मिरदंग ही। करत मंजीरिया किमं किं तरंग ही।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नमुं त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।6।। __ बजत सारंगी सु, सन सनं सन सनं। नचत शक्रराज ले, धरत पग छम छम।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नमुं त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।7। इस भांति उत्सव करे देव गण आय कर, लहत सम्यक्त्व का भक्ति उर धार कर।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नमुं त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।8।। सुहोत वैराग्य जिस काल जिन आपको आय लोकान्ति देव करत अनुमोद को।। देव अरहन्त का शर्ण हम ले लिया। मैं नम त्रिकाल आप मोक्ष पन्थ पालिया।।9।।
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