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(चौपाई)
पद्मकुण्ड को निर्मल नीर, कनझारिका धरिमन धीर । पूजों मन वच भक्ति लगाय, अर्हद्भक्ति भावना भाय।। ऊँ ह्रीं श्री अर्हद्भक्ति भावनायै जलम् निर्वपामीति स्वाहा।
चन्दन बावन नीर घसाय, रतनजडित झारी भर लाय। पूजों मन वच भक्ति लगाय, अर्हद्भक्ति भावना भाय।। ऊँ ह्रीं श्री अर्हद्भक्ति भावनायै चंदनम् निर्वपामीति स्वाहा।
अक्षत उज्ज्वल खण्ड न कोय, कनकथाल में धर शुध हो । पूजों मन वच भक्ति लगाय, अर्हद्भक्ति भावना भाय।। ॐ ह्रीं श्री अर्हद्भक्ति भावनायै अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।
देवद्रुम के फूल सुला, माला कर सेवों जिन पाय।
पूजों मन वच भक्ति लगाय, अर्हद्भक्ति भावना भाय।। ॐ ह्रीं श्री अर्हद्भक्ति भावनायै पुष्पम् निर्वपामीति स्वाहा।
नानारस नैवेद्य करेय, मोदक आदि सुभग कर लेय।
पूजों मन वच भक्ति लगाय, अर्हद्भक्ति भावना भाय।। ॐ ह्रीं श्री अर्हद्भक्ति भावनायै नैवेद्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
दीपक रतनमई कर लिया, सुभगथाल भर सनमुख भया । पूजों मन वच भक्ति लगाय, अर्हद्भक्ति भावना भाय।। ॐ ह्रीं श्री अर्हद्भक्ति भावनायै दीपम् निर्वपामीति स्वाहा।
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