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प्रत्येकाध्यं (चौपाई)
रोगी की शुभ भेषज देय, सब जिय साता बांछे तेय। औषधिदान तासको नाम, सो भी देनो शिवपुर काम।। ऊँ ह्रीं श्री औषधिदानभावनायै अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
सबको हितदा ज्ञान विचार, दे श्रुतदान महाबुध धार। सबको चाहे केवलज्ञान, सो ही ज्ञानदान हितदान । ऊँ ह्रीं श्री शास्त्रदानभावनायै अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
आप समान सकल जिय जान, अभयदान दे सबको मान । दयाभाव राखे मन माहिं, अभयदान सो भाव जजाहिं ।। ऊँ ह्रीं श्री अदयात्यागायै अभयदानभावनायै अघ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
भोजन देय कायथिति काज, मुनिकों भक्ति दया सुख साज। यथयोग्य जे दान कराय, सो अनदान सकल सुखदाय। ऊँ ह्रीं श्री आहारदानभावनायै अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
ये ही दान चार विध जान, त्याग-भावना में पहिचान। तीर्थंकर पद दाय बताय, सुरतरु- सम जिनवाणी काय ।। ॐ ह्रीं श्री चतु. प्रकारदानभावनायै अघ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
करुणासागर दीनदयाल, सब जीवन के हैं प्रतिपाल । त्याग जीव की घात सयान, सो व्रत जजों अघ्य ते आन ऊँ ह्रीं श्री हिंसात्यागभावनायै अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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