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णं-बीजाक्षर श्रेष्ठ है, ब्रह्म मूर्ति वर जान। बोध राशि दातार है, पूजू अर्घ प्रदान।।
ऊँ ह्रीं ‘‘णं' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।8।।
ऊँ णमो सिद्धाणं
ॐ कार लोक में, योगीश्वर को ध्येय लोकालोक प्रकाश-मय, रवि को पूजू श्रेय।।
ऊँ ह्रीं “ओंकार'' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा॥9॥
ण-बीजाक्षर को नमू, सम्यग्दर्शन कार। मन चाहे फल भी मिले, पूजू अर्घ उतार।।
ऊँ ह्रीं 'ण'' बीजाक्षराय अयं निर्वपामीति स्वाहा॥10॥
मो-बीजाक्षर लोक में, दश लक्षण दे धर्म। योगी का ईश्वर यही, पूजू होता शर्म।।
ऊँ ह्रीं 'मो'' बीजाक्षराय अयं निर्वपामीति स्वाहा॥11॥
सि-बीजाक्षर सिद्ध है, केवल ज्ञान प्रकाश। गणधर सा दे ज्ञान जो, पूजूं सदा विकास।।
ऊँ ह्रीं 'सि'' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।12।।
द्धा-बीजाक्षर कहा, प्रमाद नाशक जान। करे मोक्ष व्रत को वही, पूजू अर्घ प्रदान।।।।
ऊँ ह्रीं "द्धा'' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा॥13॥
णं-बीजाक्षर श्री करे, स्वर्ग काम्य फलदाय। है श्रीजिन ज्यों सुखमयी, यह पूजू शिवदाय।
ऊँ ह्रीं ‘‘णं' बीजाक्षराय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।14।
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