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प्रश्न किया तब सेठ सुमति ने, नाथ उपाय बताएँ। होगी शान्ति मुनीश्वर कैसे ?, व्याधिविघन नश जाएँ।11।
चारण ऋद्धीधारी मुनिवर, कहे वचन सुखदाई। शान्तिनाथ जिन शान्ति विधायक, पूज रचों हर्षाई।12।
मन्त्र
ओं नमोऽर्हते भगवते सकलविघ्नहराय श्री शान्तिनाथाय नमः। ओं ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रः अ सि आ उ सा सर्वोपद्रवशान्ति कुरु कुरु स्वाहा।
इस मन्त्रराज के जपने से, मन शुद्ध शान्त हो जाता है।
विघ्न सभी होते विनष्ट हैं, पुण्यकोष भर जाता है।1। धन-सम्पत्ति अधिकार का मिलना, यह तो है साधारण बात। उर मन्दिर में ज्ञान सूर्य का, होता उज्ज्वल दिव्य प्रभात।2।
विधान का समय इसका विधि विधान है भव्यो, सुनो चित्त को कर अम्लान। सोलह दिवशी शुक्ल पक्ष में, प्रथम दिवस से करो विधान।3।
जिनपूजा के पूर्व यन्त्र की, पूजा संस्थापन शुभ कार्य। सहसमन्त्र का जाप करो नित, षोडश दिन तक सुविधि सुआर्य।4।
पूजा के मंगल विधान में, दीप धूप फल पुष्प सुगन्ध। भक्तिभाव युत करो समर्पित, अशुभ कर्म का होय न बन्ध।5।
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