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दोहा
शान्तिनाथ भगवान के, गुण हैं अपरम्पार। वाचस्पति वर्णन करें, तो भी पांय न पार। 16।
माहात्म्य या फल
यह शान्तिनाथ विधान किसने, कब कहां क्यों कर किया। फलप्राप्ति जो उसको हुई, नरभव सफल उसने किया । 1।
वृत्तान्त उसका मैं प्रसंग, सहित यहां वर्णन करूँ। कल्याण हो, सुनकर जगत का, ध्यान यह मन में धरूँ।2।
भरत क्षेत्र के आर्य खण्ड में, भारतभू विख्यात सुदेश । मथुरा प्रान्त, वहां का शासक, सूर्यवंश का तिलक नरेश । 3। राजनीति में निपुण न्यायप्रिय, वीर प्रजा का पालक था। साम, दाम वा दण्ड भेद युत, शासन का संचालक था।4।
एक बार जब दैवयोग से, दुर्विपाक ने किया प्रकोप । ग्रामदेवता ने क्रोधित हो, किया उपद्रव, शान्ति - विलोप | 5। महा भयंकर व्याधि विषम अति, फैलाई जब किन्नर ने । दिन प्रतिदिन अति प्रबलवेग से, लोग लगे तब मरने ।6।
रोग प्रपीड़ि त जनता, नृप ने, छोड़ी मथुरा नगरी। काल-कृपाण लिए लख भारी, जनता भागी सगरी। 7 । शुक्ल त्रयोदशि के दिन सहसा, सेठ सुमति तंह आए। मेघ सुवर्षा देख मनोरथ, मन में अति हर्षाए।8। मथुरा नगरी में प्रवेश कर, देखे नहिं नर नारी। सूनी नगरी देख सुमति तब, मन व्याकुल भारी।9। देख जिनालय, पूज जिनेश्वर, मुनिनायक युग वन्दे। दर्शन वन्दन भक्ति विनययुत, कर उर अति आनन्दे । 10
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