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शुभ दृष्टी राय सुदर्शन, अर जाय त्रय भू पर्शन।
माता सेना उर रत्नं, धर चिन्ह सुमन जज यत्न।। ऊँ ह्रीं अरनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।59॥
नृप कुम्भ धरणिसे जाए, जिन मल्लिनाथ मुनि नाये।
जिन यज्ञ विघ्न हरतारे, पूजू शुभ अध्य उतारे।। ऊँ ह्रीं मल्लिनाथजिनाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।60॥
हरिवंश सु सुन्दर राजा, वप्रा माता जिनराजा। मुनिसुव्रत शिवपथ कारण, पूजूं सब विघ्न निवारण। ॐ ह्रीं मुनिसुव्रतजिनाय अयं निर्वपामीति स्वाहा।।61॥
मिथलापुर विजय नरेन्द्रा, कल्याण पांच कर इन्द्रा।
नमि धर्मामृत वर्षायो, भव्यन खेती अकुलायो।। ऊँ ह्रीं नमिनाथजिनाय अयं निर्वपामीति स्वाहा।।62।।
द्वारावति विजय समुद्रा, जन्मे यदुवंश जिनेन्द्रा। हरिबल पूजित जिनचरणा, शंखांक अंबुधर वरणा।। ऊँ ह्रीं नेमिनाथजिनाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।63।।
काशी विश्व सेन नरेशा, उपजाओ पाश्व जिनेशा। पद्मा अहिपति पग बन्दे, रिपु कमठ मान निःकंदे।। ॐ ह्रीं पाश्वजिनाय अयं निर्वपामीति स्वाहा।।64।
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