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कोमल कठिन चीकरी रूखो, लघु शीतोष्ण महानो। ऐसे आठ विषय सों विकरत, परिग्रहत्याग सुजानो।। आतम के अनहित के कारण, तामें मन नहिं राखे।
या जुत सम्यक्चारित सोई, पूजों व्रत अभिलाखे।। ओं ह्रीं स्पर्शनेन्द्रियशुभाशुभविषयरहितपरिग्रहत्यागमहाव्रतसहित सम्यक्चारित्राय अध्यम्
निर्वपामीति स्वाहा।
खट्टा मीठा कडुआ जानो, अरु कषायलो भाई। और चरपरा पाँच विषय में, रसना बहु ललचाई।। ये रसना के भाग शुभाशुभ, भोग परिग्रह राखे।
या जुत सम्यक्चारित सोई, पूजों व्रत अभिलाखे।। ओं ह्रीं रसनेन्द्रियशुभाशुभविषयरहितपरिग्रहत्यागमहाव्रतसहित सम्यक्चारित्राय अध्यम्
निर्वपामीति स्वाहा।
नासा इन्द्रिय विषय शुभाशुभ, भोग परिग्रह सोई। गंध विषय ललचाय जीव ते, परिग्रही अतिमोही।।
तातें इनके त्यागि भये जे, परिग्रहत्यागी भाखे।
या जुत सम्यक्चारित सोई, पूजों व्रत अभिलाखे।। ओं ह्रीं घ्राणेन्द्रियशुभाशुभविषयरहितपरिग्रहत्यागमहाव्रतसहित सम्यक्चारित्राय अध्यम्
निर्वपामीति स्वाहा।
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