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जामें दुर्नय तथा, सुनय व्याख्यान है। अस्तिकाय अरु द्रव्य, तत्त्व शुभ ज्ञान है।। अग्रायण पूरब में, यों व्याख्यान है। सो श्रुत सम्यग्ज्ञान, जजों थुति आन है।
ओं ह्रीं श्रीअग्रायणीपूर्वश्रुतज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
द्रव्य आत्म पर वीर्य, काल वीरज सही। वीरज उभय अपार, तपो वीरज कही ।। वीरज गुण अनुवाद, माँहि यों ज्ञान है। सो श्रुत सम्यग्ज्ञान, जजों थुति आन है।। ओं ह्रीं श्रीवीर्यानुवादपूर्वश्रुतज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
अस्ति नास्ति वस्त्वादि, स्वभाव विषें सही । नित्यानित्य अनेक, एक आदिक कही ।। अस्ति नास्ति पूरब में, ऐसो ज्ञान है। सो श्रुत सम्यग्ज्ञान, जजों थुति आन है। ओं ह्रीं श्रीअस्तिनास्तिप्रवादपूर्वश्रुतज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
आठ ज्ञान फल विषय, नाम वर्णन सही। और अवान्तर भेद, ज्ञान के सब कही || ज्ञानप्रवाद सु पूरब, में व्याख्यान है। सो श्रुत सम्यग्ज्ञान, जजों थुति आन है।। ओं ह्रीं श्रीज्ञानप्रवादपूर्वश्रुतज्ञानाय अघ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
भेद वचन सत असत, उभय अनुभव सही। वचनगुप्ति अरु भाषा, द्वादश जो कही।। सत्प्रवाद सु पूरब, इहविध ज्ञान है। सो श्रुत सम्यग्ज्ञान, जजों थुति आन है।। ओं ह्रीं श्रीसत्प्रवादपूर्वश्रुतज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
निश्चय आत्म अभेद, भेद व्यवहार है। जीव पूज्य वा नहीं, पूज्य निर्धार है।। इस विधि आत्मप्रवाद, पूर्व में ज्ञान है। सो श्रुत सम्यग्ज्ञान, जजों थुति आन है।। ओं ह्रीं श्रीआत्मप्रवादपूर्वश्रुतज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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