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(प्रत्येकाध्य बेसरी छन्द)
सपरस इन्द्रिय तें सब जाने । विषय आठ ताकी विधि माने।। सम्यक-सहित ज्ञान जो होई । सो मतिज्ञान जजों मद खोई || ओं ह्रीं स्पर्शनेन्द्रियद्वारसम्यग्ज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
रसना तें जो विषय पिछाने। पांच भेद सब अंश से आने सम्यक-सहित ज्ञान जो होई । सो मतिज्ञान जजों मद खोई || ओं ह्रीं रसनेन्द्रियद्वारसम्यग्ज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
घ्राणेन्द्रिय जाने जो भाई । दोय भेद ताकी विधि गाई ।। सम्यक-सहित ज्ञान जो होई । सो मतिज्ञान जजों मद खोई || ओं ह्रीं घ्राणेन्द्रियद्वारसम्यग्ज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
चक्ष विषय पञ्चविध जाने। लाल पीत श्यामादिक माने।।
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सम्यक-सहित ज्ञान तें होई । सो मतिज्ञान जजों मद खोई || ओं ह्रीं नेत्रन्द्रियद्वारसम्यग्ज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
श्रोत्रेन्द्रिय तैं शब्द पिछाने । तीन भेद ताके पहिचाने।। सम्यक-सहित ज्ञान तैं होई । सो मतिज्ञान जजों मद खोई।। ओं ह्रीं श्रोत्रेन्द्रियद्वारसम्यग्ज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
जो जो मन विकल्प तें जोवे । भई होयगी अब जो होवे || सम्यक-सहित ज्ञान तें होई । सो मतिज्ञान जजों मद खोई ।। ओं ह्रीं श्रीमनोद्वारसम्यग्ज्ञानाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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