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जयमाला श्री नेम जिनेश्वर जगपरमेश्वर, जीव दया जु धुरंधरं। मैं शरणन आयो शीश नमायो, सिंधु सुत दूषण हरनं।।
(पद्धरि छन्द) जय जय जिन नेम सुनेम धार, करुणा कर जग जन जलधि तार।
जय कार्तक सुदि छठमी प्रधान, शिवदेवी उर अवतरे आन।। जय जय सावन सुदी छठ सुदेव, इन्द्रादि न्हवन विधि करहि सेव।
जय जय यदु कुल मंडित दिनेश, सुर नर खग स्तुति करत शेष। जय जय शुचि शुक्ल उदास होय, छठको तप कर निज आत्म जोय।
जय जय निर्मल तन निर्विकार, भामण्डल छवि शोभा अपार। जय जय आश्विन सुदी ज्ञान भान, तिथि प्रथम प्रहर जग सुख निधान।
जय जय सावन छठ शुक्ल पक्ष, सब लोकालोक कियो प्रत्यक्ष।। जय जय वसु विध विधि सकल नास, लहि सुख अनन्त शिव लोक वास।
जय जय अजरामर पद प्रधान, हो त्रिभुवन पति लोकाग्र थान।।
जय जय छाया सुत परिहरन, मनसुख समुद्र जु गहिये शरन।। ऊँ ह्रीं अरिष्टनिवारक श्री नेमीनाथ जिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।
(धत्ता छन्द) भव जन सुखदाई होउ सहाई, मन वच काया गावत हो।
सब दूषण जाई पाप नसाई, नेम सहाई छावत हो।
।।इत्याशीर्वाद।
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