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इन्द्र आय आनन्द नमस्ते, पूजा करत सु छन्द नमस्ते। क्षीरोदधि जल लाय नमस्ते, नहुन करत गुण-गाय नमस्ते।। वसुविधि द्रव्य चढ़ाय नमस्ते, स्तुति करत बनाय नमस्ते। सब देवन सिरताज नमस्ते, गुणमण्डित जिनराज नमस्ते।। महामोह-हतिकार नमस्ते, भव्यन को सुखदाय नमस्ते। पर-परिणति-परिहार नमस्ते, ज्ञाननिधान सु भान नमस्ते।। निस्पृह हो जगतें जु नमस्ते, धरि समाधि वैराग्य नमस्ते।
सिद्ध-चिदानंदराय नमस्ते, शिवमारग दरशाय नमस्ते। सुर-नर मिल नित ध्याय न मस्ते, करुणासागर देव नमस्ते। अशरण-शरण जिनेश नमस्ते, वचन दयारस लीन नमस्ते।। हरि-हर करि प्रभु-पूज नमस्ते, लोकालोक-विलोक नमस्ते। जय-जय जग-आधार नमस्ते, सुर जय-जय उच्चार नमस्ते।।
पंचाचार सु पाय नमस्ते, इन्द्र सु स्तुति गाय नमस्ते। फिर निज भाल नवाय नमस्ते, मण्डित नृत्य सु ध्याय नमस्ते।। थेइ-थेइ-थेइ धुनि होत नमस्ते, जगमग जिन-तन-ज्योति नमस्ते।
बाजत बीन-मृदंग नमस्ते, दे परदक्षिण तीन नमस्ते।। बहुविध पुण्य उपाय नमस्ते, जय-जय-जय सुखदाय नमस्ते। प्रातिहार्य वसु पाय नमस्ते, तरु अशोक हो पास नमस्ते।। सुर वरषावत पुष्प नमस्ते, वाणी-खिरत जिनेश नमस्ते। तीन छत्र शिरधार नमस्ते, ढोरत चौंसठ चमर नमस्ते।। सिंहासन थिर देख नमस्ते, भामण्डल छवि-पेख नमस्ते। बाजत दुन्दुभि द्वार नमस्ते, श्रावक-श्राविका करें नमस्ते।। देव असंख्यातें सुख नमस्ते, गुण अनन्त विख्यात नमस्ते।
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