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________________ (अडिल्ल) अष्टापद आदीश, ईश जगतार जी। वासुपूज्य चम्पापुर, परम उदार जी।। नेमिनाथ गिरनार वीर पावापुरी। मुक्ति गमन इन थान, नमन तिन नितकरी।। ऊँ ह्रीं यथाक्रमं सिद्धपदप्राप्तेभ्यः वासुपूज्यनेमिनाथ महावीरजिनेन्द्रभयः अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा। गाथा वीसंतु जिणवरिंदा, अमरासुरवंदिदा धुदकिलेसा। सम्मेदे निरिसिंहरे, णिव्वाणपथा णमो तेसिं।। अडिल्ल अजितनाथ जिन आदि, जिनेश्वर बीसजी। अमर असुरगण जिनपद, नावत सीस जी।। गिरि सम्मेद शिखरते, लोक शिखर गये। तिन जिनवर उर ध्याय, नाय शिर जय जये।।12। ऊँ ह्रीं सम्मेदाचलान्निर्वाणपदप्राप्ततीर्थंकरेभ्यः अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा। जयमाला - दोहा शिवथल प्रापण मास तिथि, नाम सवनि सुखकार। वर्णन सुरभि सुलुब्धचित, भयो भ्रमर आकार।।1। (पद्धरी छन्द) जय ऋषभदेव कैलाशशीश, वदि माघचतुर्दशि मुक्ति ईश। चम्पापुर द्वादश में जिनेश, भादों सुदि पंचमितिथि सुदेश।।2।। गिरनारनेमि जिन मुक्तिथान, आषाढ़ सुदी आठे महान। पावापुरतें प्रभु वीरनाथ, कार्तिक वदि चौदश प्रणमि माथ।।3।। पुनि शिखर सम्मेद उतंग सीस, तहँ अतिपवित्र वर कूट बीस। तिनके अब ग्रन्थ प्रमान नाम, भाषों जिन मुक्तिकरन सुठाम।।4।। 111
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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