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जय सिद्धकूट मन सिद्धि ठाम, जिन अजित लयो शिवनारि धाम । जय चैत्र शुकल पंचमि महेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश ॥ 5 ॥ जय धवल दत्त गिरि शोभनीक, जिन संभव शिवतियवरीठीक। जय चैत्र सुदी छठ दिन नरेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश ॥6॥ जय आनंदकूट महामनोग, लहि अभिनंदन शिवनारि जोग । जय छठ वैशाख शुकल सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश ॥ 7 ॥ जय अचलनाम इक कूटसार, जिन सुमतिभये भव-उदधि पार। जय चैत सुदी ग्यारस महेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश ॥8॥
जय मोहन कूट समेद शीश, पदमप्रभ मुक्त भये महीश। जय फागुन सुदि सातें नरेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश||9|
जय वर प्रभासनामा सुकूट, तहँतें सुपाश्वप्रभु करम टूट जय फागुन सुदि सातें सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश ।।10।। जय ललितकूट प्रभु परम ठाम, चंद्रप्रभ लहि तहाँ मुक्तिधाम। जय भादों सुदि सातें सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश ।।11।।
जय सुप्रभकूट पूजें महेश, जय पुष्पदन्त हम हर कलेश जय भादोंसुदि नवमी सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश ।। 12॥ जय विद्युतवर शुभकूट थान, हनिशीतल प्रभु तहाँकर्ममान। जय आश्विनसुदि एकम सुदेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।। 13॥ जय संकुलनामा कूट तास, श्रेयांस कियो जग शीसवास। जय श्रावणसुदि बारस तिथेस, सम्मेद शिखर आये सुरेश ॥ 14॥ जय वीर सुसंकुलनाम तास, लहि विमलविमल पदताहि पास। जय सुदि अषाढ़ आठें महेश, सम्मेद शिखर आये सुरेश।। 15॥ जय नाम स्वयंभू कूट वेश, वरी शिवनारि अनंत जिनेश ।
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