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लाडू, पेड़, पूरी आन, भरकर थाल धरूं पकवान। पूजू आय, जय जिनवाणी पूजू आय।। जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान। पूजू आय, जय जिनवाणी पूजू आय।। ऊँ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यः क्षुधा रोग विनाशनाय
नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा॥5॥
जगमग जगमग होत उद्योत, घृत दीपक की सुन्दर ज्योत। पूजू आय,
___ जय जिनवाणी पूजू आय।। जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान। पूजू आय, जय जिनवाणी पूजू आय।। ऊँ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यो मोहान्धकार विनाशनाय
दीपं निर्वपामीति स्वाहा।।6।
धूप दशंगी खेई जोर, भासुर कर्म उडै डक झौर। पूजू आय, जय जिनवाणी पूजू आय॥ जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान। पूजू आय, जय जिनवाणी पूजू आय।। ऊँ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यो अष्टकर्म विनाशनाय
धूपं निर्वपामीति स्वाहा।।7।
केला कमरख अरु बादाम, श्रीफल पिस्ता खारिक आम। पूजू आय,
जय जिनवाणी पूजू आय।। जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान। पूजू आय, जय जिनवाणी पूजू आय।। ऊँ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यो मोक्षफल प्राप्तये
फलं निर्वपामीति स्वाहा।।8।
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