________________
अथाष्टकं - सोलहकारण पूजन चाल
संयम धर मुनिमन सम लेय, झारी भरकर आप चढ़या । पूजूं आय जय जिनवाणी पूजूं आय।। जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान । पूजूं आय जय जिनवाणी पूजूं आय।। ऊँ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यो जन्मजरामृत्यु विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा॥1॥
मलयागिरि शुभ चंदन लाय, अरु केशर संगमे घिसवाय। पूजूं आय, जय जिनवाणी पूजूं आय।
जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान। पूजूं आय, जय जिनवाणी पूजूं आय।। ॐ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यः संसारताप विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा॥2॥
अक्षत धवल धोयकर लाय, माता सनमुख पुंज कराय। पूजूं आय, जय जिनवाणी पूजूं आय।।
जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान। पूजूं आय, जय जिनवाणी पूजूं आय।। ऊँ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यः अक्षय पद प्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा॥3॥
पुष्प मनोहर चुन भरि थार, जाति मरुआ अरु कचनार। पूजूं आय, जय जिनवाणी पूजूं आय।। जिनवाणी मम माता आप, पूजै मिटे महा सन्तान। पूजूं आय, जय जिनवाणी पूजूं आय।। ऊँ ह्रीं श्री जिन मुखोत्पन्न द्वादशांग श्रुत देवीभ्यः काम बाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा॥4॥
1022