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श्री नेमिनाथ जिन पूजन
स्थापना
नरेन्द्र छंद आयेंगे प्रभु नेमिनाथ जी, ऐसा मन यह कहता। देव दुंदुभी बजा रहे हैं, ऐसा मुझको लगता।।
मंद सुगंध बयारें चलती, यह संदेशा देती। गगन मार्ग से प्रभो आ रहे, श्रद्धा इंगित करती।।1।। मन मंदिर में दीप जलाया, प्रभु आपके स्वागत में। पलक पावड़े बिछा रखे हैं, प्रभु आपके आने में।।
नेमिनाथ जिन आप ज्ञान में, नहीं किसी को लाते। किंतु भक्ति वश भक्तों के मन, प्रभुवर आप समाते।।2।। ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्।
__ ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र !अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र !अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
द्रव्यार्पण
नरेन्द्र छंद जन्म मरण से पीडित होकर, निज आतम तड़पाया। तत्त्वज्ञान से प्यास बुझाने, नाथ शरण में आया।
नेमिनाथ तीर्थंकर स्वामी, चेतन गृह में आना।
जन्म जरा मृत्यु से सवमी, मुझको आज छुड़ाना॥1॥ ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय जन्म जरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
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