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श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान जी
श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा
आरिहंत सिद्ध आचार्य को, शत शत करूँ प्रणाम
उपाध्याय सर्वसाधु, करते सब पर कल्याण जिनधर्म, जिनागम, जिन मंदिर पवित्र धाम
वितराग की प्रतिमा को, कोटी कोटी प्रणाम जय मुनिसुव्रत दया के सागर, नाम प्रभु का लोक उजागर सुमित्रा राजा के तुम नन्दा, माँ शामा की आंखों के चन्दा श्यामवर्ण मुरत प्रभु की प्यारी, गुनगान करे निशदिन नर नारी मुनिसुव्रत जिन हो अन्तरयामी, श्रद्धा भाव सहित तम्हे प्रणामी भक्ति आपकी जो निश दिन करता, पाप ताप भय संकट हरता प्रभु संकट मोचन नाम तुम्हारा, दीन दुखी जिवो का सहारा
कोई दरिद्री या तन का रोगी, प्रभु दर्शन से होते है निरोगी मिथ्या तिमिर भ्यो अती भारी, भव भव की बाधा हरो हमारी
यह संसार महा दुखदाई, सुख नही यहां दुख की खाई मोह जाल में फंसा है बंदा, काटो प्रभु भव भव का फंदा
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