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________________ श्री महावीर स्वामी भगवान की आरती (3) ऊं जय महावीर प्रभो ! स्वामी जय महावीर प्रभो | जग-नायक सुखदायक , अति गंभीर प्रभो ! ऊं जय ..|| कुण्डलपुर में जन्में त्रिशला के जाए , स्वामी त्रिशला के जाए पिता सिद्धार्थ राजा , सुर नर हर्षाए | ऊं जय ..।। दीनानाथ दयानिधि हो मंगलकारी , स्वामी हो मंगलकारी | जगतहित संयम धारा , प्रभु पर उपकारी | ऊं जय ..|| पापाचार मिटाया , सत्पथ दिखलाया , स्वामी सत्पथ ..| दया धर्म का झंडा , जग में लहराया | ऊं जय ..।। अर्जुनमाली , गौतम, श्री चन्दनबाला , स्वामी श्री चन्दन .. || पार जगत से बेडा , इनका कर डाला | ऊं जय .||| पावन नाम तुम्हारा , जग तारणहारा , स्वामी जग तारण .. || निश दिन जो नर ध्यावे , कष्ट मिटे सारा | ऊं जय ..|| करूणासागर ! तेरी महिमा है न्यारी , स्वामी महिमा है ..। ‘ज्ञान मुनि ‘गुण गावे , चरणन बलिहारी | ऊं जय ..|| 57
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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