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________________ श्री महावीर स्वामी भगवान की आरती (2) जय सन्मति देवा, प्रभु जय सन्मति देवा | वर्द्धमान महावीर वीर अति, जय संकट छेवा || टेक सिद्धारथ नृप नन्द दुलारे, त्रिशला के जाये | कुण्डलपुर अवतार लिया, प्रभु सुर नर हर्षाये || ॐ जय0 देव इन्द्र जन्माभिषेक कर, उर प्रमोद भरिया | रुप आपका लख नहिं पाये, सहस आंख धरिया ||ऊँ जय0 जल में भिन्न कमल ज्यों रहिये, घर में बाल यती | राजपाट ऐश्वर्य छाँड सब, ममता मोह हती || ॐ जय0 बारह वर्ष छद्मावस्था में, आतम ध्यान किया | घाति-कर्म चकचूर, चूर प्रभु केवल ज्ञान लिया || ॐ जय0 पावापुर के बीच सरोवर, आकर योग कसे | हने अघातिया कर्म शत्रु सब, शिवपुर जाय बसे ||ऊँ जय0 भूमंडल के चांदनपुर में, मंदिर मध्य लसे | शान्त जिनेश्वर मूर्ति आपकी, दर्शन पाप नसे || ॐ जय0 करुणासागर करुणा कीजे, आकर शरण गही || दीन दयाला जगप्रतिपाला, आनन्द भरण तुही || ॐ जय 56
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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