________________ दोहा नर भव उत्तम पाय के, अवसर मिलियो मोहि। चोखा ध्यान लगाय के, सरन गही प्रभु तोहि।1। बालक सम हम बुद्धि है, भक्ति थकी गुणगाय। भूल चूक तुम सोधियो, सुनियो सज्जन भाय।2। औगुन तुम अति लीजियो, गुण गह लीजो मीत। पूजा नित प्रति कीजियो, कर जीवन सों प्रीति।3। संवत अष्टादश शतक, सत्तरि एक महान। भादों कृष्ण जु सप्तमी, पूरण भयो सुजान।।4।। इति श्री निर्वाण क्षेत्र पूजा सम्पूर्णम्।। // इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि // 798