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जो इस पथ का अनुयायी है, वह परम मोक्षपद पाता है।३१। ॐ ह्रीं श्री पार्शवनाथ जिनेन्द्राय जयमाला-पूर्णाऱ्या निर्वपामीति स्वाहा।
दोहा
पार्शवनाथ-भगवान को, जो पूजे धर ध्यान। उसे लोक-परलोक के, मिलें सकल वरदान।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ।
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