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खर्जून मंगावो श्रीफल लावो दाख अनार बदाम खरे। पुंगीफल प्यारे मन सुखकारे अन्तराय विधि दूर करे || कलिकुण्ड-सुयंत्रं पढ़ कर मंत्र ध्यावत जे भविजन ज्ञानी । सब विपति विनाशै, सुख परकाशै, होवै मंगल सुखदानी ॥ 8 ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं कलिकुण्ड-दण्ड श्रीपार्श्वनाथाय धरणेन्द्र-पद्मावती-सेविताय अतुल-बलवीर्यपराक्रममाय सर्वविघ्न-विनाशनाय हम्ल्क्र्यूं म्ल्क्र्यूं म्म्ल्क्र्यूं म्ल्क्र्यूं म्ल्त्र्यूं इम्ल्क्र्यूं स्म्ल्क्र्यूं ख्म्ल्क्र्यूं फलं निर्वपामीति स्वाहा।
जल गंध सुधारा तंदुल प्यारा पुष्प चरू ले दीप भली। दश धूपसुरंगी फल ले अभंगी करो अर्घ उर हर्ष रली | कलिकुण्ड- सुयंत्र पढ़ कर मंत्र ध्यावत जे भविजन ज्ञानी । सब विपति विनाशै, सुख परकाशै, होवै मंगल सुखदानी ॥ 9 ॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं कलिकुण्ड- दण्ड श्रीपार्श्वनाथाय धरणेन्द्र-पद्मावती-सेविताय अतुल-बलवीर्यपराक्रममाय सर्वविघ्न-विनाशनाय हम्ल्क्र्यूं म्ल्क्र्यूं म्म्ल्क्र्यूं म्द्र्यूं म्ल्त्र्यूं इम्ल्त्र्यं स्म्ल्त्र्यूं ख्म्ल्क्र्यूं अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
जयमाला
सर्वज्ञ परम गुण-सागर हैं, तिन पद के हरि सब चाकर हैं। सब विघ्न विनाशक सुखकर हैं, कलिकुन्ड -सुयंत्र नमूँ वर हैं। 1 । नित्य ध्यान करें जो मन ला, वर पूज रचें कर यंत्र भला। सब विघ्न विनाशक सुखकर हैं, कलिकुन्ड - सुयंत्र नमूँ वर हैं। 2 । तिनके घर ऋद्धि अनेक भरें, मन-वांछित कारज सर्व सरें । सब विघ्न-विनाशक सुखकर हैं, कलिकुन्ड - सुयंत्र नमूँ वर हैं। 3 । सुर-वंदित हैं तिनके चरणं, उर धर्म बढ़े अघ को हरणं।
सब विघ्न-विनाशक सुखकर हैं, कलिकुन्ड - सुयंत्र नमूँ वर हैं। 4 । भय चोर, अगनि, जल, सांप मही, सब व्याधि नशें छिन में जु सही सब विघ्न-विनाशक सुखकर हैं, कलिकुन्ड - सुयंत्र नमूँ वर हैं। 5 ।
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