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________________ श्री पार्श्वनाथ जिन-पूजा (बडा गांव) (रचयित्री - नीलम जैन) हे वीतरागी जिनेश्वर शिव परमेश्वर अश्वसेन के नंदन पार्श्वनाथ। वामा के दुलारे बड़ागाँव में प्रगट भये हो पार्श्वनाथ।। तुम धर्म के नेता कर्म-विजेता आनन्द-दाता हो स्वामी। तुम चिदानन्द आनन्द-कन्द दुःख-हारक दाता हो स्वामी।। इस भव-सागर से रक्षा करो प्रभु तुमको आज पुकारा है। आह्वानन करता हूँ करुणाकर हृदय में तुम्हें बिठाना है। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) भव-वन में जितने दुःख पाये नहीं वचनों से कह सकते है।। हा हा संक्लेश भाव सहकर जैसे-तैसे यहां पर रहते हैं।। यह निर्मल जल लेकर में जन्म-मरन मिटाने आया हूँ। बड़ागाँव के पारस प्रभु मैं पूजा करने आया हूँ।।1। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। घोर निगोद-महासागर में काल अनन्त बिताये हैं। भीम भयंकर नरक गति में दुःख अनन्त उठाये हैं।। यह निर्मल चन्दन लेकर मैं भव-ताप मिटाने आया हूँ।। बड़ागाँव के पारस प्रभु मैं पूजा करने आया हूँ।। 2॥ ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय संसारताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा। 558
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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