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चौबोला
आठों दरब मिलाय गाय गुण, जो भविजन जिनचन्द जजैं । ताके भव-भव के अघ भाजैं, मुक्त सारसुख ताहि सजैं ॥ जम के त्रास मिटैं सब ताके, सकल अमंगल दर भजैं । वृन्दावन ऐसो लखि पूजत, जातैं शिवपुरि राज रजैं ॥
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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