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चैत्रवदी नवमी तिथि शुभदा, जन्में त्रिभुवन सुखदाता हैं। इन्द्र किया अभिषेक मेरु पर, वह अक्षय पुण्य कमाता है।।
हे रैवासा के आदिनाथ, भगवन् मेरा उद्धार करो।
दृढ़ता से बाहु पकड़ मेरी, संसार-जलधि से पार करो।। ऊँ ह्रीं चैत्रकृष्णा-नवम्यां जन्मकल्याणक-प्राप्ताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
चैत्र कृष्णा नवमी जब आई, वैराग्य हुआ गृह त्याग दिया। छस मास योग ले दीक्षा ली, वन गये कठिन तप धार लिया।।
हे रैवासा के आदिनाथ, भगवन् मेरा उद्धार करो।
दृढ़ता से बाहु पकड़ मेरी, संसार-जलधि से पार करो।। ऊँ ह्रीं चैत्रकृष्णा-नवम्यां तपकल्याणक-प्राप्ताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
इक सहस्र वर्ष तप तपने से, प्रभु केवल ज्ञान उपाया है। फाल्गुन कृष्णा एकादशी को, यह शुभतम अवसर आया है।।
हे रैवासा के आदिनाथ, भगवन् मेरा उद्धार करो।
दृढ़ता से बाहु पकड़ मेरी, संसार-जलधि से पार करो।। ऊँ ह्रीं फाल्गुनकृष्णा-एकादश्यां ज्ञानकल्याणक-प्राप्ताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
प्राणी मात्र को दिव्यध्वनि से हितकारी उपदेश दिया। माघवदी चौदस तिथि शुभकर, प्रभु ने शिवपुर गमन किया।।
हे रैवासा के आदिनाथ, भगवन् मेरा उद्धार करो।
दृढ़ता से बाहु पकड़ मेरी, संसार-जलधि से पार करो।। ऊँ ह्रीं माघकृष्णा-चतुर्दश्यां मोक्षकल्याणक-प्राप्ताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
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