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हे कर्मदली हे महावबली, जो दर्श आपका पाते हैं। वे रिद्धि सिद्धियों को पाकर, स्वयमेव सिद्ध बन जाते हैं।। जिन राज आप हैं मुक्तजीव, हम संसारी कहलाते हैं। जो शरण आपकी आते हैं, वे मुक्त जीव बन जाते हैं।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ।
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