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________________ जयमाल - झूलना छन्द सुनिधी, सुभ मूरत बनी, माथ नावैं गणी राज तोही । जानि सुन्दर गिरा, असुर नर खग सुरा, लोक की इन्दिरा आन मोही । छवी ते देखते, भजत दुःख दूरते, मिलत पद अटल, जो कहत वो ही। हे दयापाल, मम हाल पै हाल दे, करो जेम निष्कर्म आनन्द होही। त्रोटक छन्द जय लोकित लोक अलोक नमो, सब शोषित शोक अशोक नमों। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम्।। जय पोषित आतम-धर्म नमों । प्रभु नाश किये वसु-कर्म न मों। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ।। जय भवदधि-तार जहाज नमों। सब राखत हो जन- लाज नमों ॥। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ।। जय दारिद-भञ्जन नाथ नमों । सुख-वारिधि-वर्धक साध नमों। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ॥ जय ज्ञान - कृपाण प्रचण्ड नमों। भट मोह करो शत-खण्ड नमों ।। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम्।। जय पाप-पहार - समीर नमों। जन की हर ले भव - पीर नमों ॥। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ।। जयदेह महादश ताल नमों । करुणाकर नाथ कृपाल नमों ।। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम्।। जय नायक भाषत तथ्य नमो । सब बातन में समरथ्थ नमों || जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ।। तुम आतम-भूति प्रशस्त नमों। किय भूषित लोक समस्त नमों ।। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम्।। जय काम कलंक निवार नमों। तुम भये भवसागर पार नमों ।। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम्।। जय आनन चारि प्रसन्न नमों । अरु दोष अठरह शून्य नमों 366
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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