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________________ जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ।। जय इन्द्रप्रपूजित पाद नमों। अन-अक्षर निस्सृत नाद नमों ।। जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ।। जय मान-बली-हत वीर नमों । गुण-मण्डित हैं सब धीर नमों जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम्। पद दे अपनो जगदीश नमों मनरंग नवावत शीश नमो ॥ जय सिद्धि-सुथानक-वासकरम्, प्रणमामि मल्लि जिनदेव वरम् ।। घत्ता भवि जन मन प्यारे, तारे दुखी बहु का कहूँ, कहि कवि-जन हारे, नारे लगी गणना तहूँ। तिह कर जयमाला, आला महागल जो धरे, निज शिव-बाला, वाला बने भव सो हरे । ओं ही श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय सर्वसुखप्राप्तये पूर्णार्घ्यम्। सोरठा अहो मल्लि जिनदेव, करिये करुणा जगत पै। जो सुख पावै एव, तो विन सुख कहुँ रंच ना। ओं ह्रीं श्री अरहनाथ जिनेन्द्राय नमः । ( इस मंत्र की जाप्य देना) ॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥ 367
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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