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जनमोत्सव श्याम असाढ़ा, दशमी दिन आनन्द बाढा।
हरि मन्दर पूजे जाई, हम पूजें मन-वच-काई।। ऊँ ह्रीं आषाढ़कृष्णा-दशम्यां जन्ममंगल-प्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।2।
तप दुद्धर श्रीधर धारा, दशमी कलि षाढ़ उदारा। निज आतम रस पूर्ण लायो, हम पूजत आनन्द पायो।।
ऊँ ह्रीं आषाढकृष्णा-दशम्यां तपोमंगल-प्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।31
सित मंगसिर ग्यारस चूरे, चव घाति भये गुण पूरे।
समवसृत केवलधारी, तुमको नित नौति हमारी।। ऊँ ह्रीं मार्गशीर्षशुक्ला-एकादश्यां केवलज्ञान-प्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अयं निर्वपामीति स्वाहा।41
वैसाख चतुर्दशि श्यामा, हनि शेष वरी शिव वामा। सम्मेद थकी भगवन्ता, हम पूजें सुगुन अनन्ता। ऊँ ह्रीं वैशाखकृष्णा-चतुर्दश्यां मोक्षमंगल-प्राप्ताय श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।51
जयमाला
(दोहा) आयु सहस दस वर्ष की, हेम-वरन तनसार।
धनुष पंचदश तुंग तन, महिमा अपरम्पार।।1।। जय-जय-जय नमिनाथ कृपाला, अरिकुल गहन दहन दवज्वाला। जय-जय धरम-पयोधर धीरा, जय भव-भंजन गुन-गम्भीरा।।2।।
जय-जय परमानन्द गुनधारी, विश्व-विलोकन जनहितकारी।
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