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वीरसेवामंदिरके प्रत्युपयोगी प्रकाशन
(१) समाधितन्त्र और इष्टोपदेश – श्रीपूज्यपादाचार्यकी प्रध्यात्म-विषयक दो अनूठी कृतिया, संस्कृत-हिन्दी टीकाभोसे अलकृत तथा मुख्तारश्री प्रस्तावनाये भूषित ( नया सस्कररण) पृष्ठ ३५२, सजिल्द ३) (२) जैन ग्रन्थ- प्रशस्ति-संग्रह – संस्कृत और प्राकृतके १७१ अप्रकाशित
थोकी प्रशस्तियोका मगलाचरण सहित अपूर्व सग्रह, उपयोगी ११ परिशिष्टो, डाक्टर ए एन उपाध्याय एम. ए. के 'प्राक्कथन' और प० परमानन्द शास्त्रीकी इतिहास - साहित्य - विषयक परिचयको लिये हुए ११६ पृष्ठ की प्रस्तावनासे भूषित । पृष्ठ ४१६, सजिल्द ४ ) (३) स्वयम्भूस्तोत्र - समन्तभद्रभारतीका अपूर्व ग्रन्थ, मुख्तार श्रीजुगलकिशोरके विशिष्ट हिन्दी अनुवाद, छन्दपरिचय, समन्तभद्र - परिचय और भक्तियोग, ज्ञानयोग तथा कर्मयोगका विश्लेषण करती हुई महत्वकी गवेषणापूर्ण १०६ पृष्ठकी प्रस्तावनासे सुशोभित २) (४) स्तुतिविद्या - स्वामी समन्तभद्रकी अनोखी कृति, पापोको जीतने की कला, सटीक, मानुवाद और श्रीजुगलकिशोर मुख्तारको महत्वकी प्रस्तावना से अलकृत, सुन्दर जिल्द - सहित 211) (५) अध्यात्मकमलमार्तण्ड - पचाध्यायीके कर्ता कवि राजमल्लकी सुन्दर प्राध्यात्मिक रचना, हिन्दी अनुवाद - सहित और मुख्तार श्रीजुगलकिशोरकी खोजपूर्ण ७८ पृष्ठकी विस्तृत प्रस्तावनासे भूषित 811) (६) युक्त्यनुशासन ---तत्त्वज्ञान से परिपूर्ण समन्तभद्रकी प्रसाधारणकृति, जिसका अभीतक हिन्दी अनुवाद नही हुआ था । मुख्तार श्रीजुगलकिशोरके विशिष्ट हिन्दी अनुवाद और प्रस्तावनादिसे अलकृत १1) (७) सत्साधु - स्मरण - मगलपाठ - श्रीवीर - वर्द्धमान और उनके बादके २१ महान् आचार्योंके १३७ पुण्य स्मरणोका महत्वपूर्ण सग्रह, सयोक मुख्तार श्री जुगलकिशोरके हिन्दी अनुवादादि सहित 11) (८) सेवाधर्म-धर्मके मर्मको समझानेवाला मुख्तारश्रीका उत्तम निबन्ध मू० ) ।। प्रचारके लिये यह तथा अगली पुस्तक ७) प्रतिशत (६) परिग्रहका प्रायश्चित्त - मुख्तार श्रीका रूप मे शिक्षाप्रद सन्तवचनोको लिये हुए
पूर्व निबन्ध, परिशिष्टके
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