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प्रथम पाठकी प्रश्नावली
थे, लाइनोंद्वारा — सूत्ररूपमें ही कुछ थोड़ा-सा जान पाये थे, अब आपने व्यवहारशास्त्रको सामने रखकर हमें उसके ठीक मार्गपर लगाया है, जिससे अनेक भूलें दूर होंगी और कितनी ही उलझनें सुलझेंगी । इस भारी उपकारके लिये हम आपका आभार किन शब्दों में व्यक्त करें वह कुछ भी समझमें नहीं आता । हम आपके आगे सदा नतमस्तक रहेंगे ।'
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प्रथम पाठकी प्रश्नावली
१ क्या कोई लाइन (रेखा) सर्वथा छोटी या सर्वथा बड़ी हो सकती है ?
२ क्या स्वभावसे अथवा स्वतंत्ररूपसे कोई वस्तु बड़ी या छोटी होती है ? यदि होती है तो उसे स्पष्ट करके बतलाओ और नहीं होती तो वैसा माननेमें क्या दोष आता है ?
३ किसी लाइन अथवा वस्तुको छोटी या बड़ी कब और किस आधारपर कहा जाता है ?
४ क्या छोटेके अस्तित्व- विना किसीको बड़ा और बड़े के अस्ति स्व-विना किसीको छोटा कहा जा सकता है ? यदि कहा जा सकता है तो किस आधार पर और नहीं कहा जा सकता तो किस कारण ?
५ क्या छोटी चीज बड़ी और बड़ो चीज छोटी भी हो सकती है ? कैसे ?