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बडा दानी कौन ? विद्यार्थी-इन चारों में बड़ा दानी चौथे नम्बरका सेठ है, जो दानकी ठोक स्पिरिटको लिये हुए है । बाकी तो दानके व्यापारी हैं। पहले नम्बरके सेठको तो वास्तव में दानी ही न कहना चाहिये, उससे तो दो लाख रुपयेका अन्न एक प्रकारसे छीना गया है, वह तो दान-फलका अधिकारी भी नहीं है, और इस लिये घायल सैनिकोंकी महमपट्टीके लिये स्वेच्छासे दयाभावपूर्वक दो लाखका दान करने वालेसे वह बड़ा दानी कैसे हो सकता है ? नहीं हो सकता।
अध्यापक-मालूम होता है अब तुम विषयको ठीक समझ रहे हो। अच्छा,दूसरे विकल्पके रूपमें, अब इतना और जानलो कि-'चौथे नम्बरका सेठ करोड़ोंको सम्पत्तिका धनी है, उसके यहाँ प्रतिदिन लाखों रुपयों का व्यापारहोता है और हर साल सब खचे देकर उसे दम लाख रुपयेके करीबकी बचत रहती है। उसने दो लाखरुपये के दानसे अपना एक भोजनालय खुलवा दिया है,मोजन वितरण करने के लिये कुछ नौकर छोड़ दिये हैं और यह आर्डर जारी कर दिया है कि जो कोई भी भोजनके लिये आवे उसे भोजन दिया जावे; नतीजा यह हुआ कि उसके भोजनालयपर अधिकतर ऐसे मण्डे मुसण्डे और गुण्डे लोगोंकी भीड़ लगी रहती है जो स्वयं मजदूरी करके अपना पेट भर सकते हैं-दयाके अथवा मुफ्त भोजन पानेके पात्र नहीं, जो धक्कामुक्की करके अधिकाँश गरीब भुखमरों को भोजनशालाके द्वार तक भी पहुँचने नहीं देते और स्वयं खा-पीकर चले जाते हैं तथा कुछ भोजन साथ भी ले जाते हैं । और इस तरह जिन गरीबोंके वास्ते भोजनशाला खोली गई है उन्हें बहुत ही कम भोजन मिल पाता है । प्रत्युत इसके, धनीराम नामके एक पांचवें सेठ हैं, जो ३-४ लाख रुपयेकी सम्पत्तिके ही मालिक हैं । उनका भी हृदय बंगालके काल-पीड़ितोंको देख