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________________ वीर सेवा मन्दिर दिल्ली खाद इसेवामन्दिर' सर और विद्यावती हुए ऋणसे उऋण क्रम मंग्या निधि' के रूपमें काल नं. रके सुपुर्द करते पिना की थी और जिनेन्द्रकी विद्या चारको लक्ष्यमें - त्यका प्रकाशन किया जाय। उसी निधिसे जिसे, बादको श्रीमती कमलाबाईजी धर्मपत्नी श्रीमान बाबू नन्दलालजी कलकत्ताने १००)रु० को भेंट की है, यह सरल सुबोध सुन्दर पुस्तक प्रकाशित की जा रही है । इसके अधिक प्रचारपर अधिक लोक-हितकी आशा की जाती है। साथ ही, यह भी आशा की जाती है कि हिन्दी भाषाको अपनाने विाली देशकी प्रायः सभी विद्या-संस्थाओंमें इस पुस्तकको किसोनि-किसी रूपमें जरूर प्रश्रय प्राप्त होगा। -प्रकाशक .. - अकर्लक प्रेस, सदर बाजार, देहली।
SR No.009236
Book TitleAnekant Ras Lahari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1950
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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