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धवला पुस्तक 3
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छियानवे 69999996 जीव संपूर्ण संयत हैं। इसमें तीन का भाग देने पर जो लब्ध आवे उतने अर्थात् 23333332 जीव अप्रमत्त आदि संपूर्ण संयत हैं और इसे दो से गुणा करने पर जितनी राशि उत्पन्न हो, उतने अर्थात् 46666664 जीव प्रमत्तसंयत हैं। 156।।
असंख्यात के प्रकार
णामं ठवणा दवियं सस्सद गणणापदेसियमसंखं । एयं उभयादेसो वित्थारो सव्वभावो य ।।57।। नाम, स्थापना, द्रव्य, शाश्वत, गणना, अप्रदेशिक, एक, उभय, विस्तार, सर्व और भाव इसप्रकार असंख्यात ग्यारह प्रकार का है।।57।।
आगम का स्वरूप
पूर्वापरविरुद्धादेर्व्यपेतो
दोषसंहतेः । द्योतकः सर्वभावानामाप्तव्याहृतिरागमः ।।58 ।। पूर्वापर विरुद्धादि दोषों के समूह से रहित और संपूर्ण पदार्थों के द्योतक आप्तवचन को आगम कहते हैं। 1581
असंख्यातों के कथन का प्रयोजन अपगयणिवारणट्ठ पयदस्स परूवणाणिमित्तं च । संसयविणासणट्ठ तच्चट्ठवहारणट्ठ च ।।59।।
अप्रकृत विषय का निवारण करने के लिये, प्रकृत विषय का प्ररूपण करने के लिये, संशय का विनाश करने के लिये और तत्त्वार्थ का निश्चय करने के लिये यहाँ सभी असंख्यातों का कथन किया है ।। 59 ॥