SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1४] नहीं आता, अतः बहुतसे मुमुक्षुओंकी इच्छानुसार हिन्दी अक्षरों में छपानेका यह निर्णय किया गया है उसके हेतु आर्थिक सहयोग शीघ्र प्राप्त हुआ। अतः पुस्तक छपानेका शीघ्र निर्णय लिया गया । इस पुस्तकमें प्रतिक्रमण, आलोचना पाठ, श्री आचार्य पद्मनंदिविरचित तथा श्री अमितगति आचार्यदेव कृत सामायिक पाठ हिन्दी अक्षरोंमें लिया गया है। देवलालीमें श्री जैन मुमुक्षु महिला मंडलकी दिनप्रतिदिन धार्मिक प्रवृत्तिओंमें वृद्धिगत हो रही है और मुमुक्षु महिलाओंने उत्साहपूर्वक जिनवाणीकी प्रवृत्तिको सचेत किया है। जिनवाणीका प्रकाशन प्रत्येक पर्युषणमें होता है। इस वर्ष श्री प्रतिक्रमण आलोचना-पाठका हिन्दी पुस्तक प्रकाशन करते हुए आनंदका अनुभव करते हैं। __ इस अनादि मिथ्यात्व परिणामका प्रायश्चित्त, प्रत्याख्यान, प्रतिक्रमण, आलोचना करके स्व-स्वरूपमें स्थिर हो-यही भावना है। श्री जैन मुमुक्षु महिला मंडल-देवलाली अंतर्गत - पूज्य श्री कानजीस्वामी स्मारक ट्रस्ट, देवलाली CRED
SR No.009232
Book TitlePratikraman Aalochana Samayik Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mumukshu Mahila Mandal
PublisherJain Mumukshu Mahila Mandal
Publication Year2002
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size52 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy