________________
TOP
६. अनन्त छवि हे मेरे प्रभो, हे मेरे विभो, आज मैंने अपने अन्दर झांक कर देखा हृदय पद्म पर परमात्मा विराजमान है अनन्त छवि के दर्शन हुए।
यहीं तो अनन्त श्री, सौन्दर्य एवं वैभव छिया पड़ा है। अमृत बरस रहा है नाभि कमल सरस रहा है।
मन मयूर-हर्षित हो उठा है नाच उठा, गा उठा है प्रियतम के दर्शन करेंगे
हृदय बांसों उछलने लगा प्रभु दर्शन को मचलने लगा मैं प्रभु के सौन्दर्य में खो गया प्रभु का था, प्रभु का हो गया।
हे मेरे प्रभो, हे मेरे विभो!