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पूणियाश्रावक की सामायिक
जेम पूणियो आवक रे, संतोष भाव धरी. नित्यं जिनवर पूजैरे.फूल ना पगर भरी.
नरक गति निज टालवा.पूछे श्रेणिक राय.महावीर प्रभु दाखवे.तेने एक उपाय, सामायिक पूणिया तणी,जो एकजवरीढ़ाय,तोहे श्रेणिक भूप! तुज नरकगतिटलीजाय,
एक दिवस आवक करे, भोजन नो परित्याग, आबिका सादर करे. अतिथि संविभाग .
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एक दिवस पली करे,भोजननो परित्याग. श्रावक बहुमाने करे. अतिथि संविभाग.
पूणिया श्रावक ने गृहे आव्या श्रेणिक राय .
पूधे सामायिक तणुं मूल्य केटलुं थाय १ श्रावक कहे क्रय वस्तु नहीं.एनुमूल्य अतुल्य,
धतां महावीर जे कहे,तेज एहनुमूल्य .