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ભાષ્યત્રયમ્
| पा
अन्नर
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चउ चरिमे चउभिग्गहि पण पावरणे नवट्ठ निव्वीए । आगारुक्खित्तविवेग मुत्तु दव-विगइ-नियमिट्ट।१७। अन्न सह दु नमुकारे अन्न सह प्पच्छ दिस य साहु सव्व। पौरिसी छ सढ-पोरिसि पुरिमड्ढे सत्त समहत्तरा ॥१८॥ अन्न सहस्सागारिअ आउंटण गुरु अ पारि मह सव्व । एग-बियासणि अट्ठ उसगइगठाणे अउंट विणा ॥१९॥ अन्न स्सह लेवा गिर्ह उक्खित्त पंडुच्च पारि मह सवे । विगई निविगए नव पडुच्च-विणु अंबिले अट्ठ॥२०॥ अन्न सहपारिमहसव्व पंच खम( व )णे छ पाणि लेवाई। चउ चरिमंगुट्ठाई-ऽभिग्गहि अन्न सह मह सव्व ॥२१॥ दुद्ध महुमज्ज तिल्लं, चउरो दव विगइ चउर पिंड दवा। घय-गुल-दहियं पिसियं मक्खण-पक्कन्न दो पिँडा ॥२२॥ पोरिसि सडअवटुं दुःभत्त निविगइ पोरिसाइ समा। अंगुटु-मुट्ठि-गंठी-सचित्त-दव्वाइऽभिग्गहियं ॥२३॥
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