________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जय पच्चक्ख जिणेस! पास! थंभणय-पुरट्ठिय! १७ महमणु तरलु पमाणु नेय वाया वि विसंटुलु, नेय तणुरवि अविणय-सहावु अलसविह-लंथलु; तुह माहप्पु पमाणुदेव! कारुण्ण-पवित्तउ, इय मइ मा अवहीरि पास! पालिहि विलवंतउ १८ किं किं कप्पिउ नयकलुणु किं किं वन जंपिउ, क्विन चिट्ठिउ किट्ठदेव! दीणयमऽवलंबिउ; कासु न किय निष्फल लल्लि अम्हेहि दुहत्तिहि, तहवि नपत्तउ ताणुकिंपि पइपहु! परिचत्तिहि १९ तुहुसामिउ तुहुमाय बप्पु तुहुमित्त पियंकरु, तुहुगइ तुहु मइ तुहु जिताणु तुहु गुरु खेमंकरु; हउं दुहभर-भारिउ वराउ राउल निब्भग्गह लीणउ, तुह कमल-मलसरणु जिण! पालहि चंगह २० पइकिविक्य नीरोय लोय किवि पाविय-सुहसय, किवि मइमंत महंतकेवि किवि साहिय-सिवपय; किवि गंजिय-रिउवग्ग केवि जसधवलिय-भूयल, मइ अवहीरहिकेण पास! सरणागय-वच्छल! २१ पच्चुवयार-निरीह! नाह! निप्पन्न-पओयण!,
७०
For Private And Personal Use Only