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दंसिय-सयलपयत्थ सत्थ! वित्थरिय-पहाभर!; कलिकलुसिय जणधूय लोयलोयणह अगोयर!, तिमिरइ निरुहर पास! नाह! भुवणत्तय-दिणयर! तुह समरण-जलवरिस-सित्तमाणव-मइमेइणि, अवरावर-सुहुमत्थ-बोहकंदलदल रेहणि जाइय फलभर भरिय हरिय दुहदाह अणोवम, इय मइमेइणि-वारिवाह दिस पास मइंमम कयअविकल-कल्लाण वल्लि उल्लुरिय-दुहवणु, दावियसग्गऽपवग्गमग्ग दुग्गइ-गमवारणु; जयजं तुह जणएण तुल्ल जं जणिय हियावहु, रम्मु धम्म सो जयउ पास जयजंतुपियामडु भुवणारण्ण-निवास दरिय परदरिसण देवय, जोइणि पूअण खित्तवाल खुद्दासुर पसुवय; तुह उत्तट्ठ सुनट्ठ सुट्ठ अविसंठुलु चिट्ठहि, इयति हुअणवणसीह! पास पावाइ पणासहि फणिफण-फारफुरंत रयण कररंजिय नहयल!, फलिणीकं दलदल-तमाल-नीलुप्पल-सामल!; कमठासुर उवसग्ग-वग्गसंसग्ग-अगंजिय!,
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