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थंभणयट्ठिय! पासनाह नाहत्तण कुणमह बहुविह वन्नु अवन्नु सुन्नु वन्निउ छप्पन्निहि, मुक्खधम्म-कामत्थकाम नर नियनिय-सस्थिहि; जं ज्झायहि बहुदरिसणत्थ बहुनामपसिद्धउ, सो जोइयमणकमल-भसलसुहुपास पवद्धउ भयविमल-रणजणिरदसण थरहरिय-सरीरय, तरलिय-नयण विसुन्न गग्गारगिर करुणय, तइ सहसत्ति-सरंत हुतिनर नासियगुरुदर, मह विज्झविसिज्झसइ पास! भयपंजरकुंजर! पइं पासिवि वियसं तनित्तपत्तं तपवित्तिय, -बाहवाहपवूढ रूढ दुहदाह सुपुलइय; मन्नइ मन्नु सउन्नुपुन्नु अप्पाणं सुरनर, इय तिहुअण-आणंदचंद! जय पास!, जिणेसर! तुह कल्लाण-महेसु घंटटंकारव-पेल्लिय वल्लि रमल्ल महल्लभत्ति सुरवर गुंजुल्लिय; हलप्फलिय पवत्तयंति भुवणेवि महूसव, इय तिहुअण-आणंदचंद! जय पास! सुहब्भव! निम्मल केवल किरणनियर-विहुरिय-तमपहयर!
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