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गुरुदेव कहते हैं... कोई हमारा भला करे या न करे,हमें सबका भला करना चाहिए। अच्छा कोई भी कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता। वह पुण्य के खाते में जमा होता है, वह परलोक की पूंजी में जमा होता है। अत: दुनिया जाने या न जाने, अच्छे कार्य विपुल प्रमाण में करते ही जाओ।
सोने के लिए बच्चे को एक ओर मुलायम गद्दी मिले और दूसरी ओर माँ की गोद। बच्चा गद्दी को छोड़कर गोद को ही पसंद करेगा। कारण? गद्दी में केवल सुविधा है, जबकि माँ की गोद में क्या नहीं है, यह प्रश्न है।
गुरुदेव!
आपकी गोद की चाह में मैंने कभी गलती नहीं की, इसे मैं अपने जीवन का एकमात्र श्रेष्ठतम सौभाग्य मानता हूँ। मुमुक्षु अवस्था में मैं था तब भी इस गोद में लोटने का आनन्द मैंने लूटा और वर्षों के संयमपर्याय के बाद भी गोद में लोटने की अनुमति देने की आपकी उदारता का भरपूर फायदा उठाने में भी मैं सदैव आगे ही रहा हूँ।
आज मैंदावे से यह कह सकता हूँ कि संयमजीवन के इतने वर्षों में, गोद में लोटने के इस सौभाग्य के अलावा अन्य किसी भी वस्तु ने मुझे आकर्षित नहीं किया, मुझे लोभान्वित नहीं किया।
गुरुदेव! मुक्ति न मिले तब तक, प्रत्येक जन्म में मुझे आपकी गोद में लोटने का सौभाग्य प्राप्त होता रहे,प्रभु से मैं प्रतिदिन यही याचना करता हूँ।
मेरी इस याचना से आपको कोई ऐतराज तो नहीं है ना गुरुदेव?