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वर्तमान चोवीशीए, एम जिन कल्याण; बीज दिन केइ पामीया, प्रभु नाण निरवाण... इम अनंत चोवीशीए, हुवा बहु कल्याण; जिन उत्तम पद पद्मने, नमतां होय सुखठाण..
पंचमी तिथि- चैत्यवंदन श्यामल वान सोहामणु, श्री नेमि जिनेश्वर; समवसरण बेठा कहे, उपदेश सोहंकर.. पंचमी तप आराधतां, लहे पंचम नाण; पांच वरस पंच मासनो, ए छे तप परिमाण..... जिम वरदत्त गुणमंजरी ए, आराध्यो तप एह; ज्ञान विमल गुरु एम कहे, धन धन जगमां तेह.
___ पंचमी तिथि- चैत्यवंदन त्रिगडे बेठा वीर जिन, भाखे भविजन आगे; त्रिकरण| त्रिहुं लोक जन, निसुणो मन रागे. आराधो भली भातसें, पंचमी अजुवाली; ज्ञान आराधन कारणे, एही ज तिथि निहाली. ज्ञान विना पशु सारिखा, जाणो एणे संसार; ज्ञान आराधनथी लहे, शिवपद सुख श्रीकार.
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