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बीज तिथि चैत्यवंदन दुविध बंधने टालीए, जे वली राग ने द्वेष; आर्त रौद्र दोय अशुभ ध्यान, नवि करो लवलेश. ......... बीज दिने वली बोधि बीज, चित ठाणे वावो; जेम दुःख दुर्गति नवि लहो, जगमां जश चावो.. ........ भावो रूडी भावना ए, वाधो शुभ गुणठाण; ज्ञान विमल तप तेज थी, होय कोडी कल्याण.
बीज तिथि, चैत्यवंदन दुविध धर्म जेणे उपदिश्यो, चोथा अभिनंदन; बीजे जन्म्या ते प्रभु, भवदुःख निकंदन. दुविध ध्यान तमे परिहरो, आदरो दोय ध्यान; एम प्रकाश्युं सुमति जिने, ते चवीया बीज दिन.
........२ दोय बंधन राग द्वेष, तेहने भवि तजीए; मुज परे शीतल जिन कहे, बीज दिन शिव भजीए. .........३ जीवाजीव पदार्थहैं, करो नाण सुजाण; बीज दिने वासुपूज्य परे, लहो केवल नाण..................... निश्चय ने व्यवहार दोय, एकांते न ग्रहीए; अरजिन बीज दिने चवी, एम जन आगल कहीए. ........५
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