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ज्ञान रहित किरिया कही, काश कुसुम उपमान; लोकालोक प्रकाशकर, ज्ञान एक प्रधान. ज्ञानी श्वासो-श्वासमां, करे कर्मनो छेह; पूर्व कोडी वरसां लगे, अज्ञानी करे तेह.. देश आराधक क्रिया कही, सर्व आराधक ज्ञान; ज्ञान तणो महिमा घणो, अंग पांचमे भगवान. पंच मास लघु पंचमी, जावज्जीव उत्कृष्टि; पंच वरस पंच मासनी, पंचमी करो शुभ दृष्टि. एकावन ही पंचनो ए, काउस्सग्ग लोगस्स केरो; उजमणुं करो भावशू, टालो भव फेरो. एणी पेरे पंचमी आराधीए, आणी भाव अपार; वरदत्त गुणमंजरी परे, रंग विजय लहो सार.
अष्टमी तिथि- चैत्यवंदन महा शुदि आठम दिने, विजया सुत जायो; तेम फागण सुदि आठमे, संभव चवी आयो. चैतर वदनी आठमे, जन्म्या ऋषभ जिणंद; दीक्षा पण ए दिन लही, हुआ प्रथम मुनिचन्द.
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