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श्री नेमिनाथ भगवान, चैत्यवंदन नेमिनाथ बावीसमा, शिवादेवी माय; समुद्र विजय पृथ्वीपति, जे प्रभुना ताय............... दश धनुषनी देहडी, आयु वर्ष हजार; शंख लंछन धर स्वामीजी, तजी राजुल नार.... सौरीपुरी नयरी भली ए, ब्रह्मचारी भगवान; जिन उत्तम पद पद्मने, नमतां अविचल ठान. ........३
___ श्री नेमिनाथ भगवान, चैत्यवंदन विशुद्ध-विज्ञान-भृतां वरेण, शिवात्मजेन प्रशमाकरेण. येन प्रयासेन विनैव कामं, विजित्य-विक्रान्त-वरं प्रकामम्....१ विहाय राज्यं चपल-स्वभावं, राजीमती राज-कुमारिकां च. गत्वा सलीलं गिरिनार शैलं, भेजे व्रतं केवल-मुक्ति-युक्तम्..२ निःशेष योगीश्वर मौलिरत्नं, जितेन्द्रियत्वे विहित-प्रयत्नम्. तमुत्त-मानंद-निधान-मेकं, नमामि नेमिं विलसद्-विवेकम्....३
श्री पार्श्वनाथ भगवाननु चैत्यवंदन पार्श्वनाथ पासे प्रभु, आत्म ज्ञानथी देखे; जडवण आतम भानथी, प्रगट प्रभु निज पेखे...... ........१
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