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चिदानंद वसुता वर्या, विश्वपूज्य जिनराज; वासुपूज्य निज आतमा, करशो साधी काज. प्रभुमय थै प्रभु सेवतां ए, स्वयं प्रभु जिन थाय; अनंत केवलज्ञाननी, ज्योति ज्योत सुहाय.
श्री वासुपूज्यस्वामीनुं चैत्यवंदन
वासव वंदित वासुपूज्य, चंपापुरी ठाम; वसुपूज्य कुल चंद्रमा, माता जया नाम. महिष लंछन जिम बारमा, सित्तेर धनुष प्रमाण; काया आयु वरस वली, बहोंतेर लाख वखाण. संघ चतुर्विध थापीने ए, जिन उत्तम महाराय; तस मुख पद्म वचन सुणी परमानंदी थाय.
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श्री विमलनाथ भगवाननुं चैत्यवंदन कंपिलपुर विमलप्रभु, श्यामा मात मल्हार; कृतवर्मा नृप कुल नभे, उगमियो दिनकार. लंछन राजे वराहनुं, साठ धनुषनी काय; साठ लाख वरसां तणुं, आयु सुख समुदाय. विमल विमल पोते थया ए, सेवक विमल करेह; तुज पद पद्म विमल प्रति, सेवुं धरी ससनेह.
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